...अगर मायने बदलते
हम समेट सकते
तेरा नाम.. तेरा अश्क
तेरे सपनों में जो..
कभी हमराज था..
पलट कर..
लौटते थके..
बच्चों की मुस्कान जैसी
नन्ही कहानियां
माँ के दामन में
सुकून की छांव..मांगती
मेरी नींदें ..
...अगर मायने बदलते
तो हम समेट सकते
तेरा नाम..
बच्चों की मुस्कान..
नन्ही कहानियां
और तेरा चेहरा भी..
राहुल
आपने वर्ड वेरिफिकेसन हटाया नहीं .........सेटिंग में जाकर हटाया जाता है .ताकि टिपण्णी करने में आसानी होती है . कृपया हटा दें ....फिर से बेहतरीन रचना ....
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