Rahul...

17 December 2010

यकीन....

बूँद सी जिंदगी...
जिन्दगी सी कविता
भ्रम सी  तेरी तन्हाई
बाकी सब..
ख़ामोशी के यायावर
तुम.. कभी
पलकों में सिमटी.. लिपटी
आसपास सी डोलती
मेरी यायावरी के संग
बूँद में समाहित होती रही
मेरा इतना यकीन था
हवा.. सपने.. नींद
तुम्हें बिठाएंगे
अपनी गोद में
कहानियां सुनायेंगे
इतना यकीन था....
तुम फिर मेरी साँसों में
दहकते.. मचलते
बूँद से जीवन में
टिकी रहोगी
कविता के शब्द
तुम्हें मनाएंगे
इतना तो यकीन....
करने दो.
                             राहुल 





बूँद सी जिंदगी... जिन्दगी सी कविता


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