Rahul...

08 December 2010

तेरे सजदा में

कुछ खिले..
ओस की तरह
कुछ दिखे
मौसम सा
जो.. मन में
टूटता है
तेरे नाम का सजदा
..गर जिन्दा रहे तो क्या
जो मिट जाएँ हम तो क्या
मगर.. तय सा है
खिलेंगे..
हर बार तेरे सजदा में
इनकी तरह
                                      राहुल





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