सिमटी..सहमी
बातों की पोटली लिए
हम कारवां होते गए
शब्दें राह चलती गयी
नहीं था नाम सड़कों का
मकानों से भी
गायब थी तख्तियां
तेरे लिए
जो दुपट्टा ख़रीदा है ..
सिमटी.. सहमी
बातों की पोटली में
कसमसाती रही धूप
उस दुपट्टा छूने को
बस कोई..
शब्द पीछे रह गया
गायब तख्त्तियों वाले
अनसुने मकानों में
पड़ाव डाले शब्द
जागते रहे
बस कोई...
आलिंगन चुभती रही
तेरे दुपट्टे को..
हमने जस का तस
रख छोड़ा है..
सजिल्द..और
उमस से बचाकर
शब्दें राह चलती गयी
हम तो कारवां होते गए
राहुल
बातों की पोटली लिए
हम कारवां होते गए
शब्दें राह चलती गयी
नहीं था नाम सड़कों का
मकानों से भी
गायब थी तख्तियां
तेरे लिए
जो दुपट्टा ख़रीदा है ..
सिमटी.. सहमी
बातों की पोटली में
कसमसाती रही धूप
उस दुपट्टा छूने को
बस कोई..
शब्द पीछे रह गया
गायब तख्त्तियों वाले
अनसुने मकानों में
पड़ाव डाले शब्द
जागते रहे
बस कोई...
आलिंगन चुभती रही
तेरे दुपट्टे को..
हमने जस का तस
रख छोड़ा है..
सजिल्द..और
उमस से बचाकर
शब्दें राह चलती गयी
हम तो कारवां होते गए
राहुल