Rahul...

17 November 2010

एक शोर उठा पानी

रोज शाम के जागते
अँधेरे में..
तुम्हारी सांस
की खनक पर
एक शोर उठा पानी
सुबह के सोते
उनींदे सपने
खाक में मिटने की
लगन तक
एक शोर उठा पानी
                                   Rrahul

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