Rahul...

09 November 2010

तेरे आने तक......

कोई एक सवाल
जो जेहन में...
युगों तक मन के रंगों में
घुलमिल जाए...
शायद वक़्त थम सा जाये
तुमने जो एक लकीर
मेरे दामन में
कभी थमा दिया था...
तेरे आने तक
टूट कर बिखर जाए...
मैं सपनों में नहीं..
तेरे पन्नों में नहीं
शायद समय की रेत पर
तेरे आने तक..
खुद का अक्स तलाशता
मिल जाऊँगा..
तेरी एक नज्म...
मेरे आँगन में
उम्मीद की..
साँसों को जी ले
तेरे आने तक
पतझर जी उठेगा..
                               राहुल

1 comment:

  1. सुन्दर रचना ........ यूँ ही लिखते रहें . बधाई ..........

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