Rahul...

18 November 2010

कभी तो ऐसा हो ....

कभी तो ऐसा हो ....
कि..
तुमसे कह सकूं
माँ के बारे में
धूप में बरसता
टूटता उनका मन
तुम सुन सको
उन्हें ..
कभी तो ऐसा हो ....
कि..
कागज़ की दुनिया में
कदम उठे तेरे ...
जहाँ हजारों
गुनगुनाते मौसम
जर्जर पत्तों की
बेलौस सी
बहकती रंगत
कभी तो ऐसा हो ....
कि..
तुमसे कह सकूं
 तेरे हाथ की
नरमी..
सदियों के बाद भी
मेरे आसपास
कैद है..
कभी तो ऐसा हो ....
                                             Rahul

No comments:

Post a Comment