यतमान...
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Rahul...
17 November 2010
...तब तक
रेत की दुनिया
रेत के सपने
हाथों से फिसलता ..
पिघलती रेत के नगमे
तब तक रहूँगा..
तेरी आँखों में
जब तक
बच्चे बनाते रहेंगे
रेत के घर
पानी के मकान
और...
नाजुक खिलखिलाहट
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