Rahul...

14 January 2011

पलकों की कतारों में

.. सिर्फ तुमको समेट लेती
छुपा देती
समय से
 जो लौट कर आती
समय की कहानियां
तेरी आँखों के..
साए में
जिन्दा होती
अप्रतिम सा स्पर्श..
मुझे वापस कर दो
सपनों के शोर में
आंच सी बर्फ में
समय की कहानियां
मुझे दे दो...
जहाँ  सिर्फ..
इतना शेष..
कभी निगाहों से
जो सौगात दी..
पलकों की कतारों में
सिर्फ तेरा नाम 
तेरा स्पर्श..
पूरा वजूद
समेट लेती
.. जो लौट कर आती
समय की कहानियां

                                       राहुल

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