Rahul...

14 January 2015

चारागरो ये तस्कीन कैसी 
मैं भी हूँ इस दुनिया में 
उनको ऐसा दर्द कब उठा 
जिन को बचाना होता था....

7 comments:

  1. दर्द हमारे हिस्से होना होता है, सारा आला, असला तो उनके हिस्से है.

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)

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  3. सुंदर प्रस्‍तुति।

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति

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