Rahul...

01 June 2012

सवालों के सामने.....




कहाँ से शुरू किया जाए ? ... सवाल इतना ही नहीं है ? कई बार हमें लगा कि कुछ सवालों को चुपचाप सहेज कर रख दिया जाए.. कई बार लगा कि इस पर क्या जवाब दिया जाए? इसी कशमकश में कुछ सवालों को जिन्दा रखा.. सोचा... जब कभी अपने लिए वक़्त मिलेगा... तो उन सवालों के आमने-सामने बैठेंगे. करीब एक साल से हम घुमक्कड़ बन कर अपने घर-शहर से दूर होते गए.. लेकिन एक दो शब्द लगातार मेरे पीछे चिपका रहा. ब्लॉग लिखने की शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा में हमने कोई  चमत्कार नहीं किया. मेरे जैसे हजारों लोग रोज न जाने कितने लिख-लिख कर पन्ने भरते रहते हैं.. उसी में हम भी थोड़ी जोर-आजमाइश कर लिया करते हैं.
ब्लॉग लिखने की हमारी कहानी थोड़ी अजीब है. जहाँ तक मुझे याद रहा है कि जब हम राष्ट्रीय सहारा, पटना (२००८ ) में चीफ रिपोर्टर थे तो कुछ जरुरी काम से देहरादून जाना हुआ. दो-तीन दिनों तक वहां रहने और घूमने के बाद एक दिन के लिए मसूरी गया. फिर उसी दिन दून वापस लौटकर दिल्ली के लिए बस पकड़ ली. सुबह पहुँचने के बाद अपने एक ममेरे भाई के डेरे पर गया. बस.. वहीँ से इसकी शुरुआत हो गयी. उसने मुझे बताया कि भैया.. आप तो लिखते हैं ?.. हमने कहा.. थोड़ा सा... उसने फिर कहा... मेरी बात मानिये... आप अपना ब्लॉग बनाइये.और लिखिए.. हमने कहा.. ये कैसे होगा ? हम तो ब्लॉग का नाम सुने हैं, पर कुछ जानते नहीं.. तब उसने तुरंत अपना पीसी ऑन किया और सब कुछ समझाने लगा. उसने लगभग दस से पंद्रह मिनट में मेरा ब्लॉग तैयार कर दिया.. खैर.. जब पटना लौट कर आये तो ऑफिस में थोड़ा-थोड़ा उस पर लिखने लगा. वैसे भी फुरसत मिलती नहीं थी. फिर भी कुछ-कुछ समय निकाल कर लिख लेता. बाद के दिनों में जब मैंने सहारा की नौकरी छोड़ दी तो कुछ दिनों के लिए लिखना बंद हो गया. सहारा की सरकारी जैसी  नौकरी छोड़ने को लेकर मेरे दोस्तों और घरवालों को काफी हैरानी हुई. सब नाराज थे.. अपने घर की नौकरी छोड़ दी ? लगातार सात सालों तक हिंदुस्तान मुजफ्फरपुर में रहने के बाद घर वापसी हुई थी. ये क्या कर बैठे? और भी न जाने बहुत कुछ...... हमने कुछ जवाब नहीं दिया.. कुछ दिनों तक इधर-उधर भटकने के बाद एक छोटे से चैनल में गए.. हालांकि अब कहीं भी काम करने का मन नहीं कर रहा था, पर कुछ लोगों के लिए.. उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहे (दुनियादारी के लिहाज से आप कुछ लोगों के लिए सीधे जिम्मेवार होते हैं) .. मैंने वहाँ काम शुरू किया.
खैर... बात हो रही थी ब्लॉग लिखने की. लेकिन वो पुराना ब्लॉग बंद हो चुका था. फिर से नयी शुरुआत हुई.. थोड़ा-थोड़ा लिखना शुरू किया. हम इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करते हैं कि इस मामले में तकनीकी रूप से हम ज्यादा कुछ नहीं जानते थे और आज भी नहीं जानते हैं. सिर्फ तस्वीर और टेक्स्ट को कैसे अपलोड किया जाता है ? बाकी बहुत कुछ नहीं मालूम.. कुछ लोगों ने मेरे पोस्ट पर कमेन्ट्स देना शुरू किया. जाहिर है अच्छा लगता.. थोड़ा हौसला बढ़ता.. इसी बीच एक-दो लोगों ने मुझसे कमेंट्स देने के साथ ये कहा कि.. आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें..कमेंट्स देने में आसानी होती है.... इस पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. सोचा.. बाद में देखेंगे.... बहरहाल... लिखते रहे और कमेंट्स आते रहे.. लेकिन ज्यादा नहीं .. बस दो-तीन ही... हर बार इस सलाह के साथ कि... आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें.. हमने एकाध बार कोशिश भी की. मगर समझ नहीं पाया और छोड़ दिया.. मुझे अब अपने आप पर शर्मिंदगी होने लगी... पर  वर्ड वेरिफिकेशन नहीं हटा सका.
फिर चैनल की नौकरी छोड़ने के बाद हम वहीँ आ गए, जहाँ हम जैसे लोगों का ठिकाना होता है.. तब थोड़े दिनों के लिए फिर लिखना छूट गया... अब एक बार फिर से हम वहीँ खड़े थे... जहाँ आज से दस साल पहले थे.. घर से बाहर...घर की तलाश.. उम्मीदों की तलाश.. उसी मुस्कान को फिर से वापस लाने की तलाश.. जिसके लिए आप सीधे जिम्मेवार होते हैं... नयी यात्रा शुरू हुई..........................
जब कोलकाता आये तो नए शिरे से सब कुछ शुरू हुआ. सब कुछ बदला हुआ.. यहाँ थोड़ा समय मिलता तो लिख लिया करते. कमेंट्स आते और फिर से सलाह ... कृपया आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें. अभी तक आपने हटाया नहीं.. ओह... अब हम करे तो क्या करें ? इसी बीच उन्होंने लगातार मेरे पोस्ट पर कमेंट्स दिया.. मुझे सराहा... अंत में उन्होंने वर्ड वेरिफिकेशन हटाने का पूरा प्रोसेस समझाया.. लिखकर.... मैंने फिर कोशिश की.. नहीं हुआ.. रिप्लाई में हमने लिखा... मैं सच कहता हूँ.. पूरी कोशिश की, पर हुआ नहीं..हालाकि उनके कमेंट्स लगातार आते रहे.. कुछ दिनों के बाद उन्होंने एक पोस्ट पर कमेंट्स दिया.... अब मै आपको कभी नहीं........ वर्ड वेरिफिकेशन को.. वैसे आपने अच्छा लिखा है...|  तब से लेकर आज तक ये अपराध बोध मेरे मन पर पैबस्त है.. सोचते हैं... हम एक ऐसे इंसान की बात को पूरा नहीं कर सके.. जिसने हमेशा मेरे शब्दों, जज्बातों और  भावनाओं पर सच्चे मन से शब्द दिए... हम कभी नहीं सोचते थे कि कोई इस तरह से संज्ञान लेगा...क्या हम इस लायक थे.... कोई लगातार एक साल से ज्यादा तक वर्ड वेरिफिकेशन हटाने को कहता रहा और हम कुछ नहीं कर सके....
                                                                                                                                 अभी और भी......






4 comments:

  1. कोई बात नहीं...यदि आप से वर्ड वेरिफ़िकेशन नहीं हटता तो किसी को कुछ पल के लिये अपना पासवर्ड बता दें,फिर जब वह वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दे तो आप पासवर्ड बदल लें....

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  2. उपरोक्त सलाह पर गौर किया जा सकता है ..वैसे ये इतना मुश्किल काम भी नहीं ब्लोगर की सेट्टिंग में ही ओप्शन होता है.
    बरहाल लिखते रहें वेरिफिकेशन न भी हटे तो कोई बात नहीं.

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  3. आप बहुत अच्छा लिखते है लिखते रहिये...
    :-)

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  4. काफी पहले वार्ड वेरिफिकेशन हट चुका है ..अब आसानी होती है टिप्पणी करने में ..इसमें अपराध बोध वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए..आखिर हम एक-दूसरे से सतत सीखते ही हैं न..

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