कितना सा गुजर गया..
बस इतना सा गुजर गया
वक़्त जो तेरा-मेरा था....
किस गली में ठहर गया
तेरे जो किस्से थे..
मेरी भी कुछ बातें थी..
बस दो बूँद सी कुछ रातें थी..
न जाने कहाँ बिखर गया..
खामोश पहर का सन्नाटा.
मेरी पलकों पर पसर गया..
नम सी तड़प तेरी यादों का
मेरे शब्दों में संवर गया
कितना सा गुजर गया..
बस इतना सा गुजर गया
वक़्त जो तेरा-मेरा था....
किस गली में ठहर गया
राहुल
शब्दों में यादें ...संवर सा गया है..
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