ओ रे बेदर्दी रंग
नाज मत दिखाना
कहीं और नहीं जाना
बस..पी के देश जाना
जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना........
जाना तो ऐसे जाना
सितारों को लेकर जाना
यूं ही न बिखर जाना
गुलाबी बांहों का
स्पर्श तुम सजाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
जब पास तुम जाना
..तो चुपके से जाना
उनींदे पत्थरों का
लम्हात न सुनाना
कुछ सोंधी बर्तनों का
तन्हा जिस्म गुनगुनाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
बहकी-सहकी बातों का
कोई किस्सा न फ़साना
दबी सी घुंघरुओं को
तारों सा यूं टिमटिमाना
बेतरतीब मिन्नतों सा
तुम उन पर बिखर जाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
ओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना...
नाज मत दिखाना
कहीं और नहीं जाना
बस..पी के देश जाना
जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना........
जाना तो ऐसे जाना
सितारों को लेकर जाना
यूं ही न बिखर जाना
गुलाबी बांहों का
स्पर्श तुम सजाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
जब पास तुम जाना
..तो चुपके से जाना
उनींदे पत्थरों का
लम्हात न सुनाना
कुछ सोंधी बर्तनों का
तन्हा जिस्म गुनगुनाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
बहकी-सहकी बातों का
कोई किस्सा न फ़साना
दबी सी घुंघरुओं को
तारों सा यूं टिमटिमाना
बेतरतीब मिन्नतों सा
तुम उन पर बिखर जाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
ओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना...
अहहा .. पी के आगोश में प्रीतम की तरफ से कुछ तो आये. चाहे वो थोड़े रूखे ही क्यों न हो... आखिर फागुन है.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण एवं सुन्दर अभिव्यक्ति ....!!
ReplyDeleteओ रे बेदर्दी रंग
ReplyDeleteकहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना... बहुत लाजबाब प्रस्तुति,,राहुल जी
RecentPOST: रंगों के दोहे ,
पी के देश जाना .......बहुत सुन्दर।
ReplyDelete.........
ReplyDeleteओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना...
रंगों को हरकारा बना भेजा सन्देश सजनी को .....
विरह का यह भी एक रंग है .....सुन्दर !
ReplyDeleteप्रेम के अनगिन रंगों में एक
ReplyDeleteरंग ये भी है .....खूबसूरत....
होली की शुभ-कामनाएं....
साभार.....
प्रेम की मधुर झंकार में सजा आह्वान ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कल्पना ...
बिखरे रंगों से भी इतर कई और रंग भी दिख रहे हैं.. जो बहुत ही अच्छे लग रहे हैं..
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
वाह सुर-मय रचना ...बहुत खूब
ReplyDeleteअपनी उड़ान तुझसे शुरू तुझ पे खत्म .बढ़िया प्रस्तुति रंगों के माध्यम से प्रेयसी का स्पर्श करने की ख्वाहिश .
ReplyDeleteफाग के रंगों में एक छटपटा -हट कवि अपने भाव जगत में देख रहा है जो प्रेयसी के सानिद्य बिन अधूरा है .रंगों का इतना खूब सूरत मानवीकरण बिरले ही देखने को मिलेगा रंगों में प्रयसी और प्रेयसी में जीवन के सब रंग इन्द्रधनुषी आभामंडल .क्या कहने हैं कवि की सघन अनुभूतियों के .फाग मुबारक .जीवन में राग रंग बरसे .रंग बरसे भीजे चुनर वाली .....
ReplyDeleteसुंदर प्रेमपगे भाव ......
ReplyDeleteवाह ……… होली की शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteBHARTIY NARI
PLEASE VISIT .
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteZindagi ke kyi rango me ghuli hui rachna..bahut khub...
ReplyDeleteHoli ki dhero shubhkamnaye.
ReplyDeleteरंगों की बरसात मेरे पी का घर .
मान्यवर राहुल भाई !यह ब्लॉग जगत की दुनिया बड़ी निर्लिप्त (निर्मम )है .यहाँ संतुलन रखना पड़ता है बार्टर सिस्टम है एक टिपण्णी ले एक टिपण्णी दे अलबत्ता टिपण्णी दिल से हो जैसे आपकी है .शुक्रिया .आपके पेशकाश का ज़वाब भी टिपण्णी ही है .
ReplyDeleteतुम उन पर बिखर जाना
ReplyDeleteऔर ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
ओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना..waah
adbhut
तुम उन पर बिखर जाना
ReplyDeleteऔर ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
ओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना..waah
adbhut
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!
ReplyDeleteमेरे पोस्ट पर आने के लिए आभार,,,राहुल जी,,,
RECENT POST: जुल्म
अहा ! अनुपम रंग ... रंग इस रचना के ...
ReplyDeleteआभार