Rahul...

20 March 2013

मेरे पी के देश जाना...

ओ रे बेदर्दी रंग
नाज मत दिखाना
कहीं और नहीं जाना
बस..पी के देश जाना
जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना........
जाना तो ऐसे जाना
सितारों को लेकर जाना
यूं ही न बिखर जाना
गुलाबी बांहों का
स्पर्श तुम सजाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
जब पास तुम जाना
..तो चुपके से जाना
उनींदे पत्थरों का
लम्हात न सुनाना
कुछ सोंधी बर्तनों का
तन्हा जिस्म गुनगुनाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
बहकी-सहकी बातों का
कोई किस्सा न फ़साना
दबी सी घुंघरुओं को
तारों सा यूं टिमटिमाना
बेतरतीब मिन्नतों सा
तुम उन पर बिखर जाना
और ..जलते मेरे मन का
आगोश लेकर आना.........
ओ रे बेदर्दी रंग
कहीं और नहीं जाना
बस.. मेरे पी के देश जाना...
 

25 comments:

  1. अहहा .. पी के आगोश में प्रीतम की तरफ से कुछ तो आये. चाहे वो थोड़े रूखे ही क्यों न हो... आखिर फागुन है.

    ReplyDelete
  2. बहुत भावपूर्ण एवं सुन्दर अभिव्यक्ति ....!!

    ReplyDelete
  3. ओ रे बेदर्दी रंग
    कहीं और नहीं जाना
    बस.. मेरे पी के देश जाना...
    बहुत लाजबाब प्रस्तुति,,राहुल जी

    RecentPOST: रंगों के दोहे ,

    ReplyDelete
  4. पी के देश जाना .......बहुत सुन्‍दर।

    ReplyDelete
  5. .........
    ओ रे बेदर्दी रंग
    कहीं और नहीं जाना
    बस.. मेरे पी के देश जाना...

    रंगों को हरकारा बना भेजा सन्देश सजनी को .....

    ReplyDelete
  6. विरह का यह भी एक रंग है .....सुन्दर !

    ReplyDelete
  7. प्रेम के अनगिन रंगों में एक
    रंग ये भी है .....खूबसूरत....
    होली की शुभ-कामनाएं....
    साभार.....

    ReplyDelete
  8. प्रेम की मधुर झंकार में सजा आह्वान ...
    बहुत सुन्दर कल्पना ...

    ReplyDelete
  9. बिखरे रंगों से भी इतर कई और रंग भी दिख रहे हैं.. जो बहुत ही अच्छे लग रहे हैं..

    ReplyDelete
  10. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  11. बहुत बढ़िया सर!


    सादर

    ReplyDelete
  12. वाह सुर-मय रचना ...बहुत खूब

    ReplyDelete
  13. अपनी उड़ान तुझसे शुरू तुझ पे खत्म .बढ़िया प्रस्तुति रंगों के माध्यम से प्रेयसी का स्पर्श करने की ख्वाहिश .

    ReplyDelete
  14. फाग के रंगों में एक छटपटा -हट कवि अपने भाव जगत में देख रहा है जो प्रेयसी के सानिद्य बिन अधूरा है .रंगों का इतना खूब सूरत मानवीकरण बिरले ही देखने को मिलेगा रंगों में प्रयसी और प्रेयसी में जीवन के सब रंग इन्द्रधनुषी आभामंडल .क्या कहने हैं कवि की सघन अनुभूतियों के .फाग मुबारक .जीवन में राग रंग बरसे .रंग बरसे भीजे चुनर वाली .....

    ReplyDelete
  15. सुंदर प्रेमपगे भाव ......

    ReplyDelete
  16. वाह ……… होली की शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  17. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

    BHARTIY NARI
    PLEASE VISIT .

    ReplyDelete
  18. Zindagi ke kyi rango me ghuli hui rachna..bahut khub...
    Holi ki dhero shubhkamnaye.

    ReplyDelete

  19. रंगों की बरसात मेरे पी का घर .

    ReplyDelete
  20. मान्यवर राहुल भाई !यह ब्लॉग जगत की दुनिया बड़ी निर्लिप्त (निर्मम )है .यहाँ संतुलन रखना पड़ता है बार्टर सिस्टम है एक टिपण्णी ले एक टिपण्णी दे अलबत्ता टिपण्णी दिल से हो जैसे आपकी है .शुक्रिया .आपके पेशकाश का ज़वाब भी टिपण्णी ही है .

    ReplyDelete
  21. तुम उन पर बिखर जाना
    और ..जलते मेरे मन का
    आगोश लेकर आना.........
    ओ रे बेदर्दी रंग
    कहीं और नहीं जाना
    बस.. मेरे पी के देश जाना..waah
    adbhut

    ReplyDelete
  22. तुम उन पर बिखर जाना
    और ..जलते मेरे मन का
    आगोश लेकर आना.........
    ओ रे बेदर्दी रंग
    कहीं और नहीं जाना
    बस.. मेरे पी के देश जाना..waah
    adbhut

    ReplyDelete
  23. बहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!
    मेरे पोस्ट पर आने के लिए आभार,,,राहुल जी,,,

    RECENT POST: जुल्म

    ReplyDelete
  24. अहा ! अनुपम रंग ... रंग इस रचना के ...
    आभार

    ReplyDelete