करीब १० दिन पहले मिरिक, बुन्ग्कुलुंग के रहने वाले नर बहादुर लिम्बु साहब का एक लिफाफा मेरे नाम से ऑफिस में आया.. उस सफ़ेद लिफाफे में सुपारी, नारियल के टुकड़े व लौंग रखे हुए थे. एक बार ऊपर से नीचे देखने के बाद मै समझ गया कि लिम्बु साहब ने मुझे फिर याद किया है. इस बार उन्होंने अपनी भांजी की शादी का निमंत्रण कार्ड भेजा था . आप सबको शायद याद होगा कि नवम्बर में बुन्ग्कुलुंग पर रिपोर्ताज लिखने के दौरान उनसे हमारी जान-पहचान हुई थी. वे बुन्ग्कुलुंग बस्ती प्रजापति महासंघ के सचिव हैं और काफी विनम्र किस्म के इंसान हैं . अक्सर उनसे फ़ोन पर बात होती रहती थी . वे जब भी सिलीगुड़ी आते तो एक बार जरूर फ़ोन करते .. आपको एक बार फिर से बता दें कि बुन्ग्कुलुंग दार्जिलिंग जिले के मिरिक प्रखंड की वो बस्ती है जहाँ सिर्फ लिम्बु जनजाति के लोग रहते हैं . लिम्बु जनजाति मूल रूप से नेपाल की जनजाति है . अब इनकी संख्या काफी कम हो गयी है .. हरे-भरे बुन्ग्कुलुंग की ख़ूबसूरती के बारे में कहने और लिखने को बहुत कुछ है .. अभी दुर्भाग्य से मेरे ब्लॉग के कई पोस्ट डिलीट हो गए . उसी में एक बुन्ग्कुलुंग पर रिपोर्ताज भी था . खैर ... लिम्बु साहब ने शादी का कार्ड भेजने के बाद कई बार हमे फ़ोन कर आने की गुजारिश की . मैंने उन्हें हर बार कहा कि आने की कोशिश करूंगा .. शादी के दिन यानी आठ मार्च को दिन के 1 1 बजे जब हम अपने सहयोगी विशाल दत्त ठाकुर के साथ बुन्ग्कुलुंग पहुंचे तो लिम्बु साहब शादी की तैयारियों में व्यस्त दिखे . उन्होंने हमारा दिल खोल कर स्वागत किया और शादी के हर पहलू से अवगत कराया . उस शादी के बारे में बहुत कुछ लिखने का मन हो रहा है, पर अभी आप सिर्फ चुनिन्दा तस्वीरों को देखिये .. अगले किसी पोस्ट में जरूर विस्तार से शादी से जुड़े हर पहलू की चर्चा करूंगा ...........................................................................................................
Rahul...
10 March 2013
निमंत्रणा...
करीब १० दिन पहले मिरिक, बुन्ग्कुलुंग के रहने वाले नर बहादुर लिम्बु साहब का एक लिफाफा मेरे नाम से ऑफिस में आया.. उस सफ़ेद लिफाफे में सुपारी, नारियल के टुकड़े व लौंग रखे हुए थे. एक बार ऊपर से नीचे देखने के बाद मै समझ गया कि लिम्बु साहब ने मुझे फिर याद किया है. इस बार उन्होंने अपनी भांजी की शादी का निमंत्रण कार्ड भेजा था . आप सबको शायद याद होगा कि नवम्बर में बुन्ग्कुलुंग पर रिपोर्ताज लिखने के दौरान उनसे हमारी जान-पहचान हुई थी. वे बुन्ग्कुलुंग बस्ती प्रजापति महासंघ के सचिव हैं और काफी विनम्र किस्म के इंसान हैं . अक्सर उनसे फ़ोन पर बात होती रहती थी . वे जब भी सिलीगुड़ी आते तो एक बार जरूर फ़ोन करते .. आपको एक बार फिर से बता दें कि बुन्ग्कुलुंग दार्जिलिंग जिले के मिरिक प्रखंड की वो बस्ती है जहाँ सिर्फ लिम्बु जनजाति के लोग रहते हैं . लिम्बु जनजाति मूल रूप से नेपाल की जनजाति है . अब इनकी संख्या काफी कम हो गयी है .. हरे-भरे बुन्ग्कुलुंग की ख़ूबसूरती के बारे में कहने और लिखने को बहुत कुछ है .. अभी दुर्भाग्य से मेरे ब्लॉग के कई पोस्ट डिलीट हो गए . उसी में एक बुन्ग्कुलुंग पर रिपोर्ताज भी था . खैर ... लिम्बु साहब ने शादी का कार्ड भेजने के बाद कई बार हमे फ़ोन कर आने की गुजारिश की . मैंने उन्हें हर बार कहा कि आने की कोशिश करूंगा .. शादी के दिन यानी आठ मार्च को दिन के 1 1 बजे जब हम अपने सहयोगी विशाल दत्त ठाकुर के साथ बुन्ग्कुलुंग पहुंचे तो लिम्बु साहब शादी की तैयारियों में व्यस्त दिखे . उन्होंने हमारा दिल खोल कर स्वागत किया और शादी के हर पहलू से अवगत कराया . उस शादी के बारे में बहुत कुछ लिखने का मन हो रहा है, पर अभी आप सिर्फ चुनिन्दा तस्वीरों को देखिये .. अगले किसी पोस्ट में जरूर विस्तार से शादी से जुड़े हर पहलू की चर्चा करूंगा ...........................................................................................................
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बहुत बढ़िया राहुल जी।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट कैसे डिलीट हो गई। क्योंकि आपका ब्लॉग खोलने पर उसमें अगस्त १२ की पोस्ट शीर्ष पर खुलते देख मैं यही सोच रहा था।
:)
ReplyDeleteये पोस्ट डाल कर आपने अच्छा किया , मैं भी परेशान हो रही थी कि पिछ्ला पोस्ट कहाँ गया ..
ReplyDeleteफोटो देखकर अच्छा लगा...
ReplyDeleteदोनों को शुभकामनाएँ...
:-)
चित्रों से इनकी ज़िन्दगी की सरलता देखकर बहुत अच्छा लगा. पिछली कविता का कुछ अंश डैशबोर्ड पर पढ़ पाया. लिंक क्लिक करने पर असफलता हाथ लगी. उम्मीद है त्रुटी जल्दी दूर हो.
ReplyDeleteबढ़िया संस्मरण अंश .सुन्दर चित्र परिवेश लिए .
ReplyDeleteसभी चित्र सुन्दर !
ReplyDeleteशुभकामनाएं नव युगल को ...
साभार !
सुन्दर प्रस्तुति .खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,
ReplyDeleteबहुत ही बढिया ... इस सचित्र प्रस्तुति के लिये आभार
ReplyDeletelबहुत ही बढिया ..rahul. nivedita
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