...बातें कहाँ से शुरू हुई ...और कहाँ पर विराम लेने लगी...अभी तक के अल्प सफ़र में उपलब्धियां नाम मात्र की रही है... अपने मनोभावों को शब्दों में पिरोने की आदत कब लगी... कुछ ख्याल नहीं... जब ब्लॉग के बारे नहीं जानता था.. तब इधर-उधर लिखकर छोड़ दिया करता था.. जाने-अनजाने लोगों ने उसे सहेजा.... मेरे लिए...
... वर्ड वेरिफिकेशन....कमेंट्स......पोस्ट.....वीणा स्टूडियो....उसकी .निर्विकार... यथावत तस्वीर.. दार्जीलिंग के तिब्बती शरणार्थी कैंप का रंग.... इन सबके बीच एक सच्चा इंसान... मेरे अन्दर हमेशा मौजूद रहेगा...इस छोटी सी कायनात में ललक इस बात की भी नहीं कि कभी उनके आमने-सामने होंगे कि नहीं..... हाँ जब कभी हमारा बेरहम वक़्त इसकी इजाजत देगा... तो अपना लैपटॉप सामने रख देंगे......
राहुल
सच्चा इन्सान तो हमारे अन्दर होता ही है..
ReplyDeleteबस हम ही पहचानते नहीं,,,
रही ब्लॉग की बात तो यहाँ बहुत कुछ सीखने को है..
अच्छा लगता है....
सुन्दर पोस्ट....
:-)
उम्मीद है कि बातें इतनी जल्दी या फिर ऐसे विराम नहीं लेंगी..आगे भी..बस ..एक प्रतीक्षा ..
ReplyDeleteAapki sachayi ko salam .....
ReplyDeleteBhai ham ro thahre haryanvi me kahu yhodo si baris edae bhejh diyo meharbaani hpgo aapki ....
http://www.nwoow.com/pranab-denies-allegations-finance-minister/
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