आतुरता को रौंदती है
प्रतिध्वनि की प्रतीक्षा ..
कोशिश को तोड़ती है
अघोषित प्रतिकार ..
मौत की ओर भागते
बेचैन पर्वतों को
मटियामेट करते हैं
जीवन की दुर्गम लालसाएं ...
अनगढ़ बोझ को
ओढ़ते-बिछाते
तुम्हारे हिस्से का
पराजित कोना
कब से धूल-धूसरित पड़ा है...
हमें मालूम है
सभ्यता के बाजार में
पागलपन की नीलामी
चलती ही रहेगी....
समवेत साँसों को
अनुर्वर मिट्टी में
थरथराते मुस्कुराहटों की
प्रतीक्षा बोते
तुम्हारे हिस्से का
अनचीन्हा आदमी...
मेरे नहीं होने का
इतिहास गिरवी रख देगा ...
..तो बिना शोर-शर्त के
क्यों न हम सब जी लें
एक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
उसी अनुर्वर मिट्टी में.
प्रतिध्वनि की प्रतीक्षा ..
कोशिश को तोड़ती है
अघोषित प्रतिकार ..
मौत की ओर भागते
बेचैन पर्वतों को
मटियामेट करते हैं
जीवन की दुर्गम लालसाएं ...
अनगढ़ बोझ को
ओढ़ते-बिछाते
तुम्हारे हिस्से का
पराजित कोना
कब से धूल-धूसरित पड़ा है...
हमें मालूम है
सभ्यता के बाजार में
पागलपन की नीलामी
चलती ही रहेगी....
समवेत साँसों को
अनुर्वर मिट्टी में
थरथराते मुस्कुराहटों की
प्रतीक्षा बोते
तुम्हारे हिस्से का
अनचीन्हा आदमी...
मेरे नहीं होने का
इतिहास गिरवी रख देगा ...
..तो बिना शोर-शर्त के
क्यों न हम सब जी लें
एक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
उसी अनुर्वर मिट्टी में.
वाह....
ReplyDeleteबेहतरीन.....
निःशब्द करते भाव.
अनु
गहरी रचना. गज़ब का शिल्प है आपका.
ReplyDelete.तो बिना शोर-शर्त के
क्यों न हम सब जी लें
एक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
काश ये शब्द सब समझें .
उर्वरता तो ह्रदय में है जिसे कभी भी अनुर्वर नहीं होने देना चाहिए ..प्रतिध्वनियाँ तो साँसों से टकराती रहती है और हमारा इतिहास बनाती है..
ReplyDeleteएक दूसरे का पश्चाताप ...
ReplyDeleteक्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
गहन भाव लिये ... बेहद सशक्त रचना मन को छूती हुई !
क्यों न हम सब मिटा दें
ReplyDeleteएक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
बिलकुल पा सकते हैं ... उर्वरता का सागर सूखता नहीं जो हम न चाहें ...
आतुरता को रौंदती है
ReplyDeleteप्रतिध्वनि की प्रतीक्षा ..कितनी सच्ची पंक्तियाँ.....!!!!!
.तो बिना शोर-शर्त के
ReplyDeleteक्यों न हम सब जी लें
एक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
बहुत बढ़िया, लाजबाब भावपूर्ण पंक्तियाँ ,आभार,
Recent Post : अमन के लिए.
बहुत ही भावपूर्ण लाजबाब प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteवाह बहुत खूब जो है की सहज स्वीकृति .
ReplyDeleteसुंदर कविता
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
निराशा से आशा की ओर अग्रसर करती कविता।
ReplyDeleteक्यों न हम सब मिटा दें
ReplyDeleteएक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
..... अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने
शुभ भावना से प्रेरित मनसा उदगार वाह !शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeletelajwaab ....!!
ReplyDeleteतो बिना शोर-शर्त के
ReplyDeleteक्यों न हम सब जी लें
एक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
उसी अनुर्वर मिट्टी में.
बहुत सुंदर विचार,,, संकल्प
ऐसा हो तो बहुत अच्छा
सादर !
बहुत सुंदर.....
ReplyDeleteकाश ऐसा हो पाए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द दिए हैं जज्बातों को
प्रशंसनीय..
ज़नाब आप कविता क्या एक खूबसूरत सी दास्ताँ झरना बना बहा देते हैं शब्दों के प्रवाह में और हम हर मर्तबा अतृप्त रह जाते हैं पढ़ते हुए .
ReplyDeleteक्यों न हम सब जी लें
ReplyDeleteएक-दूसरे का शोक गीत...
क्यों न हम सब मिटा दें
एक दूसरे का पश्चाताप ...
क्यों न हम सब पा लें
एक दूसरे का सानिध्य ...
उसी अनुर्वर मिट्टी में.-----
जीवन के सच को अभिव्यक्त करती सुंदर सार्थक रचना
उत्कृष्ट
बधाई
बढ़िया
ReplyDeleteकोलेस्ट्रोल टिप्स
ReplyDeleteराहुल भाई पहले खाली पेट लिपिड प्रोफाइल कराएं .यदि LDL Cholesterol और ट्राईग्लीसरायडिस स्वीकृत सीमा से बहुत ज्यादा हैं अमान्य स्तर पर आ गएँ हैं तब -
दो बातें ध्यान रखें -Animal /Dairy products दूध और दुग्ध उत्पाद ,सामिष भोजन सभी प्रकार का (अपवाद स्वरूप sea foods तैलीय मच्छी आदि ले सकते हैं )रेड मीट ,पोल्ट्री अंडा इन दोनों को बढाएंगे .बचें इनसे .दूध सपरेटा ही भला या फिर लाईट मिल्क (0.5 -1.0 %fat only ).ज़रूर ले सकतें हैं .९ ० ० ग्राम हल्का दूध दही समेत रोजाना ले सकते हैं .चीनी भी वांच्छित नहीं है .गुड़ की डली ले सकते हैं .दिन भर में तकरीबन ३ ० -३ ५ ग्राम .
आयल दिन भर में १ ५ ग्राम से ज्यादा नहीं सभी स्रोतों से .एक चाय का चमच्च भर तेल ही सब्जी में इस्तेमाल करें .
दो रोटी खाएं ,सब्जी उबली हुई जितना मर्जी खाएं ,सलाद भी सतरंगी बनाके खाएं (चुकंदर ,लाल पीली बेल पेपर बोले तो शिमला मिर्च ,खीरा ,करी पत्ता ,हरा धनिया ,मूली गाज़र ,लेटुस (सलाद पत्ता ,ककड़ी ,सैंद /हरियाणा में कचहरी कहतें हैं ,उत्तर प्रदेश में फूट ).
तीन फल रोज़ खाएं -चकोतरा (ग्रेप फ़्रूट ), अनार ,अमरुद ,एपिल में से जो भी उपलब्ध हों .
ईसबगोल ,ग्रीन टी ,स्टेविया (stevia ,from Nutri value ),flax seeds (अलसी के बीज )आदि कोलेस्ट्रोल कम करते हैं .रेशा बहुल खाद्य भी .त्रिफला चूर्ण खाली पेट एक चमच्च एक ग्लास ताज़े पानी से सुबह के पहले पेय के रूप मेलें .
जितना अपना सकते हैं करें .लाभ होगा .
कचरी पढ़ें कचहरी को .कृपया संपर्क करें और जानकारी के लिए कोलेस्ट्रोल कम करने के बाबत .एक बात और तीन से पांच किलोमीटर रोज़ पैदल चलें LDL Cholesterol (Bad cholesterol ) Good cholesterol HDL में तब्दील हो जाएगा .
ReplyDeleteॐ शान्ति
0961 902 2914 /022 22 17 64 47
वीरुभाई
वाह बहुत खूब ...!!!
ReplyDeleteGahre bhao...
ReplyDeleteगहरे भाव ....
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...