उम्मीदों के दीए...
तुम कल जब चले जाओगे..
तपते सफ़र में
कुछ तो निशाँ छोड़ जाओगे
मेरा तो सब कुछ...
इतना सा मद्धिम है
रात कहीं तनहा
चुपके से गुजर जाएगी
न तो ये पल आएगा..
और न ही कभी तुम
पर इतना ही संतोष लेकर
दुनिया कुछ हाथ पर रख जाएगी
और फिर ये तस्वीर कभी नजर
नहीं आएगी .......................................
अब मैं आपको नहीं कहूँगी वर्ड वेरिफिकेशन हटाने को .. बहुत बढ़िया लिखा है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है ..
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