चले तो गए....
जितना कहते थे
हाथों पर कुछ रखकर
मौन ..बिना कुछ
मांगे...
सराबोर अपने...
संताप को चिपकाये..
चले तो गए..
असहज..कातर
साँसों का गला
घोंट ...चुपके से
उतना ही छोड़ ..
चले तो गए..
एक-दो उदास पेड़
के आसपास ..
किस्सा रोप कर
अपनी नज्म का
चुपके से
... तुम चले तो गए................
राहुल
जितना कहते थे
हाथों पर कुछ रखकर
मौन ..बिना कुछ
मांगे...
सराबोर अपने...
संताप को चिपकाये..
चले तो गए..
असहज..कातर
साँसों का गला
घोंट ...चुपके से
उतना ही छोड़ ..
चले तो गए..
एक-दो उदास पेड़
के आसपास ..
किस्सा रोप कर
अपनी नज्म का
चुपके से
... तुम चले तो गए................
राहुल
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