ऐ मेरे मालिक.....
ऐ मेरे मालिक.....
मुझे रास्ता दिखा
थोड़ी रोशनी दे
मेरे सफ़र को
अपना सा दामन दे..
ऐ मेरे मालिक.....
मै कदम बढ़ा सकूं
खुद का ख्याल मिटा सकूं
अपने करीब
तिनके सा आसरा दे.....
ऐ मेरे मालिक......
मेरे अश्क के सहरा को
थोड़ी बारिश दे
थकी आँखों को
पत्थर सा हौसला दे...
राहुल
ऐ मेरे मालिक.....
ReplyDeleteमै कदम बढ़ा सकूं
खुद का ख्याल मिटा सकूं
अपने करीब
तिनके सा आसरा दे.....
वाह ,....बहुत खूबसूरत
आपका लिखा पढ़ने की बात ही कुछ और है सर!
bahut hi badhiya likha hai..
ReplyDeletesundar prastuti....
ऐ मेरे मालिक......
ReplyDeleteमेरे अश्क के सहरा को
थोड़ी बारिश दे
थकी आँखों को
पत्थर सा हौसला दे...
अद्भुत भाव का संयोजन किया है आपने इस रचना में ...!
मेरी भी ऐसी ही विफल पुकार है..
ReplyDeleteखूबसूरत रचना...अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDelete